विषयों एवं विद्यालयी विषयों की समझ (अध्ययन विषयों के अन्य प्रकार):- समेकित अध्ययन विषय (Integrated Discipline), सुसम्बद्ध अध्ययन विषय (Correlated Discipline) , (discipline and understanding subjects:- types of understanding discipline and school subjects :- Integrated Discipline, Correlated Discipline ) in hindi b.Ed 1st year code - 105

(5.) समेकित अध्ययन विषय (Integrated Discipline) :-

गेस्टाल्टवादियों के अनुसार अमेरिका विद्यालयों में एकीकृत पाठ्यचर्या का विकास हुआ।एकीकृत पाठ्यचर्या एकीकरण के सिद्धान्त पर आधारित है जिसके अनुसार कोई विचार एवं क्रिया तभी प्रभावशाली तथा उपयोगी होती है जब उसके विभिन्न भागों या पक्षों में एकता होती है। एकीकृत पाठ्यचर्या वह पाठ्यचर्या है जिसमें पाठ्यचर्या के विभिन्न विषयों में एकता हो साथ ही साथ समस्त विषय एक दूसरे से इस प्रकार सम्बन्धित होते कि वे एक-दूसरे के लिए बाधक न होकर ज्ञान प्राप्ति में सहायक हो। एकीकृत पाठ्यचर्या में यह प्रयास किया जाता है कि सभी पाठ्य विषयों के अध्ययन सामग्री में सह-समबन्ध हो एवं इस पाठ्य सामग्री का जीवन की वास्तविक परिस्थितियों में भी सह-सम्बन्ध हो। बालक को विभिन्न विषय नहीं पढ़ने पड़ते मात्र अपनी रुचि के विषय ही पढ़ने होते हैं।

शिक्षा का उद्देश्य बालकों को सभी तरह के ज्ञान से परिचित कराना है। यह उद्देश्य विषयों को पृथक-पृथक (अलग-अलग) रूप में पढ़ाने से पूर्ण नहीं हो सकता अर्थात् यह कार्य तभी सम्पन्न हो सकता है जब विषयों को एक-दूसरे से सम्बन्धित करके पढ़ाया जाए। इसके लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न विषयों को इस प्रकार परस्पर सम्बन्धित किया जाए कि उनके मध्य किसी प्रकार की दीवार न हो।यह दायित्व शिक्षक का ही है कि वह पाठ्यचर्या के समस्त विषयों को सम्बन्धित करें। पाठ्यक्रम की विषय सामग्री का जीवन से सम्बन्ध स्थापित करे एवं प्रत्येक विषय सामग्री में भी सह-सम्बन्ध स्थापित करे। इस प्रकार जो पाठ्यचर्या उक्त सभी प्रकार के सम्बन्धों से युक्त हो,उसे एकीकृत पाठ्यचर्या की संज्ञा प्रदान की जाएगी।

हैण्डरसन के अनुसार, “एकीकृत पाठ्यचर्या वह पाठ्यचर्या है जिसमें विषयों के बीच कोई अवरोध, रुकावट या दीवार नहीं होती है।"

According to Henderson, “A curriculum in which barriers between subjects are broken down is often called an integrated curriculum.”

(6.) सुसम्बद्ध अध्ययन विषय (Correlated Discipline) :-

प्रचलित पाठ्यचर्या के अन्तर्गत जो विषय पढ़ाये जाते हैं उनमें सुसम्बद्धता (सहसम्बद्ध) की कमी होती है। प्रायः विषयों को ज्ञान की पृथक इकाई मानकर पढ़ाया जाता है जबकि ज्ञान एक पूर्ण इकाई है।अतः ज्ञान को अलग-अलग बाँटकर पढ़ाने की अपेक्षा विभिन्न विषयों को परस्पर सम्बन्धित करके पढाया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य से सहसम्बद्ध पाठ्यचर्या का उदय हुआ। इसे सुसम्बद्ध पाठ्यचर्या या समवाय-आधारित पाठ्यचर्या भी कहते हैं।सहसम्बद्ध पाठ्यचर्या के अन्तर्गत विभिन्न पाठ्य-विषयों को परस्पर सम्बद्ध करके पढ़ाया जाता है।इस पाठ्यचर्या का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसमें एक विषय दूसरे विषयों को पुनर्बलित (Reinforced) करता है। इस व्यवस्था में प्रत्येक विषय अपना पृथक अस्तित्व बनाए रखता है तथा उनके लिए समय-सारणी में अलग-अलग समय की भी व्यवस्था रहती है परन्तु प्रयास यह किया जाता है कि एक समय पर विभिन्न विषयों में समाज अथवा मिलते-जुलते प्रकरणों का ज्ञान प्रदान किया जाए।उदाहरण के लिए- यदि इतिहास विषय के अन्तर्गत किसी काल विशेष का ज्ञान दिया जा रहा है तो उन्हीं दिनों साहित्य विषय के अन्तर्गत उस काल का साहित्य भी पढ़ाया जाना चाहिए। इसी प्रकार भाषा शिक्षण के अन्तर्गत वर्तनी और शब्द का ज्ञान देते समय शब्दों का चयन दूसरे उन विषयों की पाठ्य-वस्तु से किए जाने चाहिए जो उस समय पढ़ाए जा रहे हैं।


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