विषयों एवं विद्यालयी विषयों की समझ(अध्ययन विषयों की संस्तुति/सिफारिशें RECOMMENDATION OF DISCIPLINES) कोठरी आयोग
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कोठरी आयोग (KOTHARI COMMISSION) :-
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् गठित "विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग” तथा “माध्यमिक शिक्षा आयोग" ने उच्च शिक्षा तथा माध्यमिक शिक्षा की समस्याओं का अध्ययन करके उनमें सुधार तथा शिक्षण के पुनर्गठन के सम्बन्ध में अपने सुझाव दिए। उनमें से कुछ सुझावों को सरकार ने क्रियान्वित किए जाने का आदेश दिया परन्तु इन सबसे वह प्राप्त नहीं हो सका जो हम प्राप्त करना चाहते थे। इसीलिए भारत सरकार ने सम्पूर्ण भारत में एक समान शिक्षा नीति तथा शिक्षा के विषय में सोचने-समझने के उद्देश्य से एक नए शिक्षा आयोग को गठन करने का विचार किया। इस विचार के फलस्वरूप भारत सरकार ने 14 जुलाई, 1964 को “भारतीय शिक्षा आयोग' का गठन किया। इस आयोग के अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी.एस. कोठारी थे। इसलिए इस आयोग को अध्यक्ष के नाम पर “कोठारी आयोग' भी कहा जाता है।
आयोग का उद्घाटन 2 अक्टूबर 1964 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया गया। इस आयोग में कुल 17 सदस्यों ने भाग लिया जिसमें 6 विदेशी विशेषज्ञ थे, उस समय उपस्थित भारतीय राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया और कहा कि “मेरी हार्दिक इच्छा है कि आयोग शिक्षा के सभी पहलुओं-प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा प्राविधिक की जाँच करें तथा इस प्रकार के सुझाव दे जिनसे हमारी शिक्षा व्यवस्था को सभी स्तरों पर उन्नति करने में सहायता मिले जिसमें निम्न योग्य विभूतियों का योगदान रहा जो इस प्रकार है"-
1) सचिव श्री जे.पी. नायक,
2) सह-सचिव श्री जे.एफ. मैग्डुगल सहायक निदेशक स्कूल,
4) सदस्य- श्री ए.आर दाऊद,
5) श्री पीन. कृपाल सिंह-शिक्षा सलाहकार एवं सचिव 'शिक्षा मन्त्रालय भारत सरकार',
6) श्री आर.ए. गोपाल स्वामी निदेशक इन्स्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड मैन पावर रिसर्च, नई दिल्ली,
6) कुलपति-प्रो. एम.बी. कुलपति, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर,
7) डायरेक्टर-डॉ बी.पी. पॉल डिपार्टमेन्ट ऑफ एग्रीकल्चर,
8) उपकुलपति-डॉ. टी. सेन जाधवपुर विश्वविद्यालय,कलकत्ता
9) डॉयरेक्टर-प्रो. रोजट रिवेली, सेण्टर फॉर पापूलेशन, इण्डस्ट्रीज हारबर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ, हारबर्ड यूनीवर्सिटी कैम्ब्रिज यू.एस.ए.,
10) डॉ. के.जी. सैय्यदन डायरेक्टर एशियन इन्स्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एण्ड एडमिनिस्ट्रेशन, नई दिल्ली।
कोठारी आयोग के गठन के कारण (Reason for
Establishment of Kothari Commission) :-
सन् 1964-1966 कोठारी आयोग के गठन के कारण निम्नलिखित हैं-
1) प्रजातान्त्रिक समाज के विकास हेतु :-
कहा जाता है कि भारत एक विविधताओं वाला देश है और विविधता में एकता इसकी पहचान है। इसी कारण उत्कृष्ठ सामाजिक आर्थिक विकास के लिए शिक्षा के सम्पूर्ण क्षेत्र में सर्वेक्षण एवं पर्यवेक्षण किया जाए जिससे सभी क्षेत्रों में सशक्त योगदान देने के लिए उचित राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली समर्थ हो।
2) धर्म निरपेक्ष समाज के निर्माण हेतु :-
प्रत्येक व्यक्ति की जीवन प्रणाली को सुव्यवस्थित बनाने हेतु शिक्षा प्रणाली की विषय-वस्तु और विस्तार दोनों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए जाए तथा शैक्षिक अवसरों की समानता के लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सके तभी धर्मनिरपेक्ष राज्य की संकल्पना की जा सकती है।
3) उद्देश्य आधारित शिक्षा व्यवस्था हेतु :-
आयोग के गठन के समय यह अपेक्षा की कि"भारतीय शिक्षा की संरचना प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चस्तर पर उद्देश्य आधारित होगी तभी हमारी शिक्षा-व्यवस्था सुचारू रूप से क्रियान्वित हो सकेगी। अपने उद्देश्य 6-14 वर्ग आयु के बालक-बालिकाओं की निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
4) विद्यालयी शिक्षा की आधारशिला :-
टी. रेमण्ड के अनुसार, बालक एक कोरी स्लेट के
समान होता है। जिसके आधार पर प्रारम्भिक शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए अधिक प्रयास की आवश्यकता है। संविधान की धारा 45(B) के अन्तर्गत अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की अनिवार्यता हेतु प्रमुख सुझावों की आवश्यकता की।
5) शैक्षिक अवसरों की समानता के लिए :-
6-14 आयु वर्ग के सभी छात्र-छात्राओं की शिक्षा व्यवस्था में सभी स्तरों पर समानता के अवसर प्रदान किए जाए।
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