विषयों एवं विद्यालयी विषयों की समझ(अध्यापक शिक्षा से संबंधी सुझाव, अध्यापक के दोष, अध्यापक शिक्षा के दोषों को दूर करने के लिए सुझाव, व्यावसायिक शिक्षा की उन्नति (Progress of Professional Education), शिक्षक प्रशिक्षण की अवधि (Time Period of Teacher's Training), प्रशिक्षण संस्थाओं की उन्नति (Progress of Training Institutions),


  अध्यापक शिक्षा से संबंधी सुझाव : -

शिक्षा की गुणात्मक उन्नति हेतु अध्यापक की व्यवसायिक शिक्षा का ठोस कार्यक्रम अनिवार्य है। इस महत्व को ध्यान में रखते हुए आयोग ने अध्यापक शिक्षा के दोष तथा उसमें सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए :-

  अध्यापक के दोष:-
आयोग ने अध्यापक शिक्षा के निम्नलिखित दोष बताए हैं-

i) प्रशिक्षण संस्थाओं का कार्य निम्न कोटि का है।
ii) प्रशिक्षण संस्थाओं में योग्य अध्यापकों की कमी है।
iii) पाठ्यक्रम में सजीवता, और वास्तविकता का अभाव है।
iv) शिक्षण विधियों में नवीनता नहीं है।
v) शिक्षकों को दिया जाने वाला प्रशिक्षण परम्परागत है।
vi) प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक प्रशिक्षण देने वाल संस्थाएँ  का इन विद्यालयों की दैनिक समस्याओं से कोई  संबंध नहीं  है।
vii) माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक प्रशिक्षण देने वाली      संस्थाओं का इन विद्यालयों की दैनिक समस्याओं से कोई        संबंध नही है।  

अध्यापक शिक्षा के दोषों को दूर करने के लिए सुझाव :-

अध्यापक शिक्षा के दोषों को दूर करने के लिए आयोग ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-

 i)  अध्यापक शिक्षा के विषय को उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों     में सम्मिलित किया जाए।
ii)  अध्यापक शिक्षा के पाठ्यक्रम, अध्ययन और अध्यापन के  लिए कुछ विशिष्ट विद्यालयों में "शिक्षा विभागों(School Of Education) की स्थापना की होनी चाहिए।
iii) शिक्षकों के प्रशिक्षण और उनके कार्यक्रमों के लिए "राज्य  शिक्षक शिक्षा बोर्ड"  स्थापना की जाए।
iv) शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को "शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय" कहा जाएगा।
v)  प्रशिक्षण संस्थाएओं में स्कूलों और उनके अध्यापकों की    समस्याओं पर कार्य करने के लिए"प्रसार सेवा विभाग" की स्थापना की जाए।
vi)  प्रशिक्षण अभ्यास में शिक्षण अभ्यास के लिए मान्यता      प्राप्त स्कूल ही चयनित किए जाएं।
vii) प्रशिक्षण संस्थाएँ और उनके संबद्ध शिक्षण-अभ्यास        विद्यालय के अध्यापकों को समय-समय पर एक-दूसरे के स्थान पर कार्य करना चाहिए।

व्यावसायिक शिक्षा की उन्नति (Progress of Professional Education) :-

व्यावसायिक शिक्षा की उन्नति हेतु आयोग ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-

 i) शिक्षण अभ्यास में गुणात्मक उन्नति के सम्बन्ध में प्रयास     किए जाएं।
ii) प्रशिक्षणार्थियों के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों एवं पाठ्यचर्या    का निर्माण किया जाए।
iii) पाठ्यक्रम इस प्रकार का हो जिससे छात्राध्यापकों को      विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले विषयों के उद्देश्यों,जटिलताओं तथा प्रयोजन का ज्ञान प्राप्त हो।
iv) विश्वविद्यालयों में सामान्य एवं व्यावसायिक शिक्षा के        एकीकृत पाठ्यक्रम शुरू किए जाए।

शिक्षक प्रशिक्षण की अवधि (Time Period of Teacher's Training) :-

शिक्षक प्रशिक्षण की अवधि हेतु आयोग ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-
i) प्राथमिक विद्यालयों के उन शिक्षकों की जिन्होंने माध्यमिक पाठ्यक्रम उत्तीर्ण किया हो,प्रशिक्षण की अवधि 2 वर्ष हो।
ii) माध्यमिक विद्यालयों के उन शिक्षकों की जिन्होंने स्नातक    परीक्षा उत्तीर्ण की हो,प्रशिक्षण की अवधि अभी तो 1 वर्ष हो पर कुछ समय बाद इसे भी 2 वर्ष का कर दिया जाए।
iii) एम.एड. के पाठ्यक्रम उन्हीं संस्थाओं में शुरू किए जाए    जहाँ योग्य प्राध्यापक हो। एम.एड. का पाठ्यक्रम 1 वर्ष  6 महीने की अवधि का हो।

प्रशिक्षण संस्थाओं की उन्नति (Progress of Training Institutions) :-

प्रशिक्षण संस्थाओं की उन्नति हेतु आयोग ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-

i) प्रशिक्षण महाविद्यालयों के अध्यापकों के पास, शिक्षा की    उपाधि के अतिरिक्त दो परास्नातक उपाधियाँ होनी चाहिए।
ii)  प्रशिक्षण महाविद्यालयों के अध्यापकों में "डॉक्ट्रेट" प्राप्त  उपाधि वाले शिक्षकों का उचित अनुपात हो।
iii) प्रशिक्षण संस्थाओं में एक प्रयोगात्मक (Experimental) विद्यालय होना चाहिए।
iv) प्रशिक्षण संस्थाओं में छात्राध्यापकों से कोई शुल्क नहीं      लिया जाएगा।
v) प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं के अध्यापकों की      न्यूनतम शैक्षिक योग्यता परास्नातक के साथ बी.एड. अथवा स्नातक के साथ एम.एड. होनी चाहिए।
 vi) माध्यमिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं के प्राध्यापकों की     न्यूनतम शैक्षिक योग्यता परास्नातक के साथ एम.एड. होनी चाहिए। पी.एच.डी. उपाधि प्राप्त अभ्यर्थियों को वरीयता दी जाए।
vii) प्रशिक्षण संस्थाओं के पुस्तकालयों तथा प्रयोगशालाओं    की स्थिति में सुधार किया जाए।
viii) प्रशिक्षण संस्थाओं में अधिकांशतः व्याख्यान विधि का    प्रयोग किया जाता है, इनके स्थान पर विचार-विमर्श और सेमिनारों का प्रयोग किया जाए। 
 ix) शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण         योग्य  छात्र-छात्राओं को ही प्रवेश दिया जाए।
 x) प्रत्येक राज्य में शिक्षकों की माँग के आधार पर प्राथमिक   शिक्षक प्रशिक्षण और माध्यमिक शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों की स्थापना की जाए।
xi) शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए अशंकालिक            पाठ्यक्रम और पत्राचार पाठ्यक्रम की सुविधाओं का     विस्तार किया जाए।

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