शिक्षा में सॉफ्टवेयर उपागम तकनीक का प्रयोग पार्ट-2


(2.) द्वितीय/मृदुल या सॉफ्टवेयर उपागम तकनीक :-

सॉफ्टवेयर वह है जिसे अपनी आँखों से न तो देख सकते हैं और न ही छू सकते हैं। इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। इसे केवल समझा जा सका है। परन्तु शैक्षिक तकनीकी की बात करें तो द्वितीय या सॉफ्टवेयर उपागम तकनीक में मशीनों का प्रयोग न करके शिक्षण व सीखने के मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है। इस तकनीकी का आधार मनोविज्ञान है। मनोविज्ञान में मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। शिक्षा का उद्देश्य बालक के व्यवहार में वांछित परिवर्तन करना है। शिक्षक सॉफ्टवेयर उपागम तकनीकी में मनोवैज्ञानिक शिक्षण विधियों, प्रविधियों, नीतियों व युक्तियों का प्रयोग शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए करता है। वह इन विधियों,प्रविधियों,नीतियों व युक्तियों का चुनाव अपनी कक्षा के बालकों को ध्यान में रखकर करता है जिस से एक निश्चित दिशा  बालकों के व्यवहार में परिवर्तन हो सके। 

           मशीनों का प्रयोग केवल पाठ्यवस्तु को प्रभावशाली बनाने के लिए किया जा किया जा सकता है। मशीनों से बालक के व्यवहार का अध्ययन नहीं किया जा सकता। जबकि शिक्षा में व्यवहार का अध्ययन आवश्यक है। अध्ययन के आधार पर ही ज्ञात हो सकता है कि एक शिक्षक ने जिन शिक्षण विधियों व प्रविधियों का चुनाव किया है वह शिक्षा के उद्देश्यों व बालक के व्यवहार में परिवर्तन में कितना सहायक है। और यह कार्य मशीनों द्वारा नही किया जा सकता। इसे अनुदेशन तकनीकी,शिक्षाण तकनीकी व व्यवहार तकनीकी भी कहते हैं। 
 
 प्रो. बी. एफ. स्किनर ने शैक्षिक तकनीक द्वितीय को व्यवहार तकनीकी पर आधारित माना है। 
                 
इसी प्रकार आर्थर मेल्टन ने कहा कि शैक्षिक तकनीकी द्वितीय अधिगम के मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है।

डेसिको के अनुसार,"व्यवहार प्रणाली सीरवने के मनोविज्ञान का वैज्ञानिक रीति से व्यावहारिक समस्याओं में प्रयोग है।"
               
 सिल्वरमैन ने इस तकनीकी को रचनात्मक शैक्षिक तकनीकी की संज्ञा दी है।

कुछ मनोवैज्ञानिक शिक्षण विधियाँ इस प्रकार हैं जो बालक के व्यवहार में परिवर्तन में सहायक है-

(1.) किंडरगार्डन विधि, 
(2.) प्रश्नोतर विधि, 
(3.) सूक्ष्म शिक्षण विधि,
(4.) खेल विधि,
(5.) संवाद विधि,
(6.) आगमान विधि,
(7.) निगमन विधि,
(8.) समस्या समाधान विधि, 
(9.) खोज विधि, 
(10.)माउंटेसरी विधि, 
(11.) मूल्यांकन विधि, 
(12.) प्रोजेक्ट विधि। 

इस सॉफ्टवेयर उपागम तकनीक जो कि मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है, शिक्षण विधियों का प्रयोग कर शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है व बालक का सर्वागींण विकास किया जा सकता है। 

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