शिक्षा में हार्डवेयर उपागम तकनीक का प्रयोग पार्ट-1

आधुनिक समय में तकनीकी का प्रयोग हर क्षेत्र में किया जा रहा है। क्योंकि मनुष्य को दिन-प्रतिदिन हो रहे परिवर्तनों के अनुसार बदलना पड़ता है।इसी प्रकार शिक्षा में भी शैक्षिक परम्परागत तरीकों(मौखिक उच्चारण,रट्टा मारना) को छोड़कर शिक्षा में सहायक आधुनिक तकनीकी का अपनाना चाहिए। जो कि अध्यापक व छात्र दोनों के समय की बचत व सरलता से सीखने व सिखाने में सहायक है। आधुनिक शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से छात्र रुचि के साथ सीखते हैं जो कि शिक्षा के अधिक विस्तार व छात्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। 

लुम्सडेंन ने शैक्षिक तकनीकी के तीन स्वरुपों का वर्णन किया है:-
(1.) प्रथम/कठोर या हाइवेयर उपागम शैक्षिक तकनीक,
(2.) द्वितीय/मृदुल या सॉफ्टवेयर उपागम शैक्षिक तकनीक, 
(3.) तृतीय या प्रणाली उपागम तकनीक, 

(1.) प्रथम/कठोर या हाइवेयर उपागम शैक्षिक तकनीक:-
हार्डवेयर वह होता है जिसे हम छू और देख सकते हैं। और शैक्षिक तकनीकी में हार्डवेयर उपागम का अर्थ है- ऐसे हार्डवेयर उपागम जिन्हे देख व छू सकते हैं का प्रयोग करके विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करना। ऐसे हार्डवेयर उपागम जो शिक्षण प्रक्रिया में सहायक हो। ये हार्डवेयर उपागम इंजीनियरिंग के सिद्धान्त पर आधारित हैं।इसका प्रारम्भ भौतिक विज्ञान तथा अभियन्त्रण तकनीकी (Engineering Technology) के शिक्षण व प्रशिक्षण प्रणाली से हुआ है। 

                 दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि शिक्षण प्रक्रिया का मशीनीकरण किया जा रहा है अर्थात् शिक्षा में सहायक उपागमों का प्रयोग कर शिक्षा को सरल व रुचिकर बनाया जा रहा है। हार्डवेयर उपागम तकनीकी में जो दृश्य-श्रव्य सामग्री प्रयोग की जाती है जिसे देखा,सुना और छुआ भी जा सकता है।शिक्षक उसे छात्रों व अपनी सुविधानुसार प्रयोग कर सकते हैं। शिक्षक कम से कम समय में. तथा अधिक प्रभावशाली ढंग से अधिगम करा सकेंगे। 
                 
सिल्वरमैन ने इस तकनीकी को सापेक्षिक तकनीकी (Relating Technolog) का नाम दिया है क्योंकि शिक्षा में जो भी हार्डवेयर तकनीकी प्रयोग की जाती है वह शिक्षा से सम्बंधित ही  होनी चाहिए अर्थात्  विषय या प्रकरण के आधार पर हाईवेयर उपागम तकनीकी का प्रयोग किया जाता है। 

        शैक्षिक तकनीकी प्रथम या हार्डवेयर उपागम के फलस्वरूप पत्राचार पाठ्यक्रम (वे शैक्षिक संस्थान जो छात्रों को उनके स्थान पर पाठ्यक्रम सामग्री व सम्पर्क कक्षाएं उपलब्ध कराती है व संचालित करती है।) तथा विश्वविद्यालय प्रणाली का जन्म हुआ। अनुसंधान एवं शोधन कार्यों में प्रपत्रों के संकलन व विश्लेषीकरण आदि के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग
भी इसी उपागम को महत्व देता है।

शिक्षण प्रशिक्षण में दृश्य,श्रव्य व दृश्य-श्रव्य तीनों तकनीकियों का प्रयोग सुविधानुसार किया जा सकता है-

                         दृश्य-श्रव्य-सामग्री                                  
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दृश्य                          श्रव्य                    दृश्य-श्रव्य        
श्यामपट्ट                  टेपरिकॉर्डर                चलचित्र
बुलेटिंन बोर्ड               रेडियो                     नाटक
फ्लेनिल बोर्ड            ग्रामोफोन                  कठपुतली
मानचित्र                                                 टेलीविजन
ग्लोब                                                     क्षेत्र-भ्रमण
चित्र                                                        वीडियो
रेखाचित्र                                                 
मॉडल
पोस्टर
स्लाइड
फिल्म स्ट्रिपस


डेविस ने भी स्वीकार किया है कि हार्डवेयर उपागम शिक्षण प्रक्रिया का क्रमशः मशीनीकरण करके शिक्षा के द्वारा कम खर्च तथा कम समय में अधिक से अधिक छात्रों को शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा हैं।

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